हमारे शरीर का सबसे ज्यादा भार घुटनों के जोड़ों पर पड़ता है। इसीलिए घुटनों के जोड़ हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण जोड़ों में से एक है। जब इनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है और चलने-फिरने में असमर्थ हो जाते हैं तो हड्डी रोग डॉक्टर घुटने के जोड़ का रिप्लेसमेंट सर्जरी करने की सलाह देते हैं, जिसमें पूरा जोड़ बदला जाता है। लेकिन अब घुटने के जोड़ों का खराब हुई आंशिक हिस्सा भी बदला जा सकता है, जिसे हाफ नी रिप्लेसमेंट सर्जरी या (अंशिक घुटना प्रत्यारोपण ) माइक्रोप्लास्टी सर्जरी कहा जाता है।
- घुटने के सिर्फ खराब हिस्सा बदलने की जरूरत – क्यों ?
ज्वांइट रिपलेसमेंट सर्जन का मानना है कि आंशिक घुटना प्रत्यारोपण सर्जरी (माइक्रोप्लास्टी ) ,पुर्ण घुटना प्रत्यारोपण से कही ज्यादा कारगर है। जब जोड़ों में खराबी आती है, तब जरूरत के हिसाब से केवल खराब भाग को बदल दिया जाता है।
घुटने के जोड़ जांघ की हड्डी, टांग की निचली हिस्से की बड़ी हड्डी और घुटने को जोड़ को ढकने वाली हड्डी, तीन हड्डियों से मिलकर बना होता है।
इन तीनों हड्डियों के अंतिम छोर गद्दियों से ढकी होती है। ये गद्दियां चलने-फिरने व अन्य शारीरिक गतिविधियों के दौरान जोड़ की हड्डियों के आपसी घर्षण होने से रोकती है और किसी भी प्रकार का धक्का या आघात लगने से बचाती है। जब ये गद्दियां घिस जाती हैं और हड्डियों का आपस में घर्षण होने लगता है तो इससे असहनीय दर्द होता है और मरीज चलने-फिरने ताथा देनिक गतिविधियो को करने मैं भी असमर्थ हो जता है।
सामन्यता, घुटने के अंदर वाली हड्डी का जोड़ ज्यादा जल्दी घिसता है; पारंपरिक प्रक्रिया के अनुसार सिर्फ उतनेे हिस्सै के लिये पूरा घुटना बदला जता था, लेकिन अब नवीन प्रणाली के अनुसार केवल घिसे हुए खराब हिस्सै को ही बदला जता है, जिसकी वजह से दर्द और अस्थिरता आ रही होती है।
इस प्रानाली के अनुसार घुटने के बाकी सारे भागो को (जैसे की बाहर वाली हड्डी,धागे, माशपेशिया आदि ) नहीं बदला जाता, जिस वजह से घुटना प्रक्रतिक तरीके से ही काम करता है, और दर्द हमेशा के लिये खत्म हो जता है।
- आंशिक घुटना प्रत्यारोपण में रिकवरी जल्दी होती है – क्यों??
–आंशिक घुटना प्रत्यारोपण (माइक्रोप्लास्टी) तकनीक से पूरे घुटने की ओपन सर्जरी करने की जगह सिर्फ जोड़ में खराब हुए हिस्से को बदला जाता है। चूंकि जोड़ के बाकी हिस्सै प्राकृतीक ही होते है घुटने को रिकवर करने मैं आसनी होती है।
-यह प्रक्रिया बहुत छोटे चीरे के साथ होती है,तो स्थिरिकरण या इममोबिलिसेशन के समय भी कम होता है।और मरीज़ ऑपरेशन के दूसरे दिन से ही चलना/घुटना मोड़ना आदि कार्य शुरू कर देता है।
-छोटे चीरे की वजह से,मांशपेशियो को भी कम क्षति पहुँचती है,जो की रिकवरी प्रक्रिया के समय को और भी कम कर देती है।
-छोटे चीरे की वजह से रक्त स्त्राव भी अधिक नहीं होता।
-पूरा जोड़ नहीं बदलने से दर्द आदि की परेशानी भी ज्यादा नहीं रहती।
- आंशिक घुटना प्रत्यारोपण( माइक्रोप्लास्टी) के फायदे…..
– कम मुलायम ऊतक विच्छेदन के साथ छोटी चीरा।
– सर्जरी मे कम रक्त स्त्राव
– प्रारंभिक जटिलताओं की कम संभावना।
– अस्पताल में रहने का समय कम।
– घुटने के काम करने की स्थिति में सुधार, दर्द मैं पूरी तरहा से आराम।
– सामान्य गतिविधियों में से वापसी, मरीज जल्दी अपने देनिक काम पर लौट सकता है।