माइक्रोप्लास्टी घुटना प्रत्यारोपण के फायदे

जोड़ो का दर्द खासकर घुटने के जोड़ो के घिस जाने के कारण समाज का वृद्ध वर्ग काफी पीड़ित रहता है तथा अपनी जीवन शैली में कठिनाई का अनुभव करता है ऐसी अवस्था में घुटने का जोड़ प्रत्यारोपित करने की सलाह दी जाती है टोटल नी रिप्लेसमेंट अभी तक ऐसे मरीजों को एकमात्र विकल्प के रूप में दिया जाता है
परन्तु ऐसे सभी मरीज जिनके घुटने घिस जाने की वजह से इन्हे पूर्ण घुटना प्रत्यारोपण की सलाह दी जाती है उनमे से लगभग 50% (आधे मरीज ) सिर्फ एन्टेरोमीडियल आस्टियोअर्थराइटिस की श्रेणी में ही रहते है जिनके लिए माइक्रोप्लास्टी अर्थात आंशिक घुटना प्रत्यारोपण एक ज्यादा बेहतर विकल्प हो सकता है जिसके बारे में जागरूकता अभी उपचार प्रदाता एवं उपचार प्राप्त करने वाले दोनों ही वर्गों में कम है
आर्टिकुलेट इस लेख (पोस्ट) के द्वारा यह जागरूकता बढ़ाने की कोशिश कर रहा है कि माइक्रोप्लास्टी सम्भवत: आने वाले समय में पूर्ण घुटना प्रत्यारोपण का एक सरल विकल्प सिद्ध होगा ।

माइक्रोप्लास्टी घुटना प्रत्यारोपण के फायदे

1 – माइक्रोप्लास्टी से किये जाने वाले प्रत्यारोपण में छोटे चीरे से घुटने के उत्तको एवं मांसपेशियों को कम से कम नुकसान किये बगैर सिर्फ घिसे हुए गादी वाले भाग को बदला जाता है। कम रक्तस्त्राव एवं त्वरित रिहेब इस ओपरेशन के फायदे है प्रत्यारोपण के बाद मरीज प्राकृतिक घुटने जैसा ही महसूस करते है एवं वे पूर्व कि तरह गतिविधिया कर सकते है जैसे पालथी लगाना ,उकडू बैठना खेल गतिविधिया में शामिल होना इत्यादि …
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/26088397 ( शोध पत्र प्रमाणिकता )
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6110431/ ( शोध पत्र प्रमाणिकता )

2 – माइक्रोप्लास्टी के लिए टोटल नी रिप्लेसमेंट कि तुलना में अस्पताल में भर्ती रहने कि अवधि भी कम है सामान्यतः तीसरे दिन मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता है एवं इस दिन मरीज सामान्य गतिविधिया जैसे चलना ,कमोड का प्रयोग स्वयं करने में सक्षम हो जाता है
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/26476471 ( शोध पत्र प्रमाणिकता )

3 – टोटल नी रिप्लेसमेंट में उपयोग किया जाने वाला जोड़ विभिन्न शोध पत्रों के अनुसार 15 – 20 साल तक काम करता है तत्पश्चात उसे पुन: बदलना पड़ता है जिसे रिवीजन नी रिप्लेसमेंट सर्जरी कहा जाता है जो कि काफी जटिल , जोखिम भरी एवं खर्चीला उपचार है जिसमें टोटल नी रिप्लेसमेंट की तुलना में चार या पांच गुना खर्च आता है ।माइक्रोप्लास्टी में उपयोग किया जाने वाला आक्सफोर्ड मोबाइल बियरिंग युनिकांडयालर नी इम्प्लांट अभी तक विभिन्न शोधपत्रों में 20 से 25 साल कार्य करने का प्रमाण देता है एवं यदि इसके रिवीजन कि आवश्यक्ता पड़ती है तो इसे सामान्य नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के द्वारा रिवाइज किया जा सकता है जो पुनः 15 से 20 साल तक कार्य कर सकता है ।
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/20706811 ( शोध पत्र प्रमाणिकता )

4 – प्रौढ़ आयु वर्ग 50 -60 वर्ष कि आयु में घुटना प्रत्यारोपण की आवश्यक्ता होने पर मइक्रोप्लास्टी एक बेहतर विकल्प के रूप में देखा जा सकता है जिससे मरीज घुटना प्रत्यारोपण के बाद भी सारी गतिविधियों को प्राकृतिक अनुभूति के साथ कर सकता है एवं जोड़ तक़रीबन 20 -25 साल तक कार्य कर सकता है।
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/17028868 ( शोध पत्र प्रमाणिकता )

5 – ऐसे मरीज जो किसी और मेडिकल प्रॉब्लम जैसे डायबिटीज, ब्लडप्रेशर दिल से संबधित रोग , एनजीओप्लास्टी या बायपास सर्जरी, पक्षघात,किडनी रोग या अन्य जटिल एवं लम्बे समय से ग्रसित है उनमे यह सहरूग्णता जोड़ प्रत्यारोपण ऑपरेशन में होने वाले दुष्परिणामों की आवृति को कई गुना बड़ा देती है ऐसे सहरूग्णता से ग्रसित मरीज भी जो माइक्रोप्लास्टी की श्रेणी में आ सकते है टोटल नी रिप्लेसमेंट की तुलना में काफी कम रिस्क के साथ घुटना प्रत्यारोपण माइक्रोप्लास्टी पद्धत्ति द्वारा सफलतापूर्वक करवा कर अपने जोड़ो के दर्द पर विजय प्राप्त कर सकते है एवं परिणाम स्वरूप मिलने वाली चलन क्षमता के द्वारा सहरूग्णता से अपनी जीवन शैली में बदलाव के द्वारा नियंत्रण पा सकते है
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/22560653 ( शोध पत्र प्रमाणिकता )

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