घुटनो के जोड़ो के घिसाव की वजह से आस्टियोअर्थराइटिस प्रोड़ एवं मध्य आयू वर्ग में दर्द का सबसे बड़ा कारन है,जिस वजह से व्यक्ति उकडू बेठने य पालथी लगाने में असमर्थ हो जाते है किंतू भारतीय संस्कृति मैं ये दोनों मुद्राये न सिर्फ दैनिक कार्यो मैं अवाश्यक है बल्की परंपरीक कार्यो जैसे पुजन,नमाज़ इत्यादी में भी आवश्यक है। आस्टियोअर्थराइटिस का दवाईयो द्वारा इलाज सिर्फ दर्द से थोड़ा बहुत राहत पहुच सकता है परन्तु ऐडवांस स्टेज में दवाईयो से भी दर्द मैं राहत नहीं मील पाती है , तब जोड़ का प्रत्यारोपण ही एक मात्र उपाय होता है जो के दर्द से मुक्ति दिलाता है।
अभी तक किये जाने वाले परंपरिक पुर्ण घुटना प्रत्यारोपण के ऑपरेशन में घुटने का जोड़ कृत्रिम जोड़ द्वारा बदल दिया जाता है, जिसमें खराब हुए भाग के साथ लीगमेंन्ट्स को भी निकाल लिया जाता है जिस वजह से पालथी लगाने या उकडू बेठ पाना संभव नहीं हो पातां है। जबकि आधुनिक तकनिक,आंशिक घुटना प्रत्यारोपण प्रणाली मेै घुटने के जोड़ का केवल घिसा हुआ भाग ही हटाया जाता है एवं किसी भी लीगमेंन्ट्स को किसी प्रकार की क्षती नहीं पहुंचाई जाती इसलिये आंशिक घुटाना प्रत्यारोपण के बाद मरीज़ आराम से पालथी लगा सकता है और उकडू बैठ सकता है।
*जेनकिंस सी,बार्कर के एल,पंडित एच,दोड्ड सिए,मुर्रऐ ड़ी डबलु *द्वारा किये गये शोध
*”ऑफ्टर पार्टियल नी रिपलेसमेंट, पेशेंटस कैन नील, बट दे नीड टू बी टोट टू दू सो: अ सिंगल ब्लिंद रंडमज़ेड कंट्रोल ट्रियल”
*मैं बताया की पालथी एवं उकडू बेठने की क्षमता अंशिक घुटना प्रत्यारोपण के मरीज़ में काफी ज्यादा बेहतर पायी गई पुर्ण घुटना प्रत्यारोपण मरीज़ के मुकाबले।।।
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